Sunday, May 17, 2015

A big Question mark over BaBaJi Ka Thullu ?? बाबाजी का ठुल्लू के क्या मायने हैं ?

इट्ज नॉट अ ठुल्लू इट्ज़ अ बिग क्वेश्चन मार्क ओवर बाबाजी का ठुल्लू।
कुछ दिन पहली बात है एक भद्र महिला को साऊथ दिल्ली की एक बड़ी महंगी सी टॉय शॉप में अपनी दो ढाई साल की क्यूट सी बेटी के साथ देखा। सुपर मोडर्न मॉम बेटी को पिछले दो साल से फेमस हुआ ठूल्लू बनाना सिखा रही थी बेटी ने ठुल्लू बनाया और साथ में खड़े परिवार के बाकी लोग वहाँ मौजूद बाकी लोगों के साथ भी बड़े खुश हुए एक मै ही कुढ़कर रह गया।
 मेरे बचपन में लगभग पांच साल की उम्र में मैंने भी यही स्नेक जेस्चर अपनी चाची की तरफ बनाया था तो मेरी परदादी ने मुझे लगभग डांटने के भाव में बताया था हाय ! ऐसे नहीं करते। वहां से मन में बैठ गया कि कुछ भी हो ये भाव भंगिमा कोई खुश होने की चीज़ नहीं है इसमें ज़रूर कुछ गलत है।
आखिर इस ठूल्लू के मायने क्या है ?
मेरी परदादी हमें बचपन में एक कहानी सुनाती थी उसका सारांश यह है एक बहेलिये ने एक गौरेया पकड कर पिंजरे में बंद कर लिया। वहां से गुजरने वाले हर आदमी ने क्रन्दन करती गोरैया को देखकर उसे छोड़ने की अपील उस बहेलिये से की पर वो नहीं माना । एक घुड़सवार ने भी कहा भाई तू मेरा घोडा लेले पर इस चिड़िया को मुक्त कर दे पर वो नहीं माना। ऐसे ही एक हाथी वाले ने कहा भाई मेरा हाथी लेले ये पर चिड़िया को छोड़ दे वो फिर भी नहीं माना। अंत में एक बाबाजी आये उन्होंने उन्होंने भी एक बार छोड़ने को कहा वो नहीं माना तो उन्होंने सोटे से उस बहेलिये को मारना शुरू किया और उस गौरेया को छुडवाया। वो गौरैया पास की डाल पर बैठ कर गाने लगी
"हाथी घोड़े बुरे लगे"
"बाबाजी के सोटे भले लगे"
यहाँ से कहावत शुरू हुई बाबाजी के सोट्टे की । येही है बाबा जी या महात्मा जी का सोटा या खुळा या डंडा या दंड कई बार इसका ऊपरी भाग कई बार सांप के फन के आकार में होता है। शायद यहीं से बाबाजी का सोटा का प्रतिरूपण हाथ से सांप के फ़न के जेस्चर रूप में हुआ होगा। जिस तरह मिडिल फिंगर उसी तरह ये स्नेक जेस्चर भी अपने आप में एक बहुत अभद्र  इशारा है। कपिल शर्मा द्वारा दिखाया जाने वाला ठुल्लू  बाबाजी वाली कहानी वाला ठुल्लू नहीं है इसका मतलब वही है जिस अर्थ में हम कहते हैं "घंटा !"। यानि मेल ऑर्गन को शो करना। पुरुषवादी आक्रामकता अंग्रेजी में कहें तो "फक्क यू "
हमारे बचपन में हमें कोई भी गलत आचरण या गाली के लिए डांट पड़ती है पर आजकल  बिना अर्थ समझे  छोटे बच्चे बच्चियों को बेझिझक  सिखाया जा रहा है। ????

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